मदर टेरसा Mother Teresa | |
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जन्म | |
मृत्यु | ५ सितम्बर १९९७ | (८७ वर्ष)
राष्ट्रियता | अल्बेनियाई[१][२] |
व्यवसाय | रोमन क्याथोलिक नन, मानवतावादी |
हस्ताक्षर | |
मदर टेरेसा (२६ अगस्त १९१० - ५ सितम्बर १९९७)[३]कऽ जन्म अग्नेसे गोङ्क्से बोजसियु नामसँ एक अल्बेनियाली परिवारमे उस्कुब, ओटोमन साम्राज्य (वर्तमान सोप्जे, म्यासेडोनिया)मे भेल छल। हिनका रोमन क्याथोलिक चर्चद्वारा कलकत्ताक सन्त टेरेसा कऽ उपाधिसँ नवाजने छल। मदर टेरसा रोमन क्याथोलिक नन छल, जे सन् १९४८ मे स्वेच्छा सँ भारतीय नागरिकता लऽ लेनए छल। सन् १९५० मे कोलकातामे मिसनरिज अफ च्यारिटी नामक एक ट्रस्टकेँ स्थापना केनए छल। ४५ वर्षधरि गरीब, बीमार, अनाथ आओर असहाय लोकसभक मद्दति केनए छल आ सङ्गे अप्पन ट्रस्ट मिसनरिज अफ च्यारिटीकेँ प्रसारक मार्ग प्रसस्त केनए छल।
सन् १९७० धरि ओ गरीब आ असहायसभक लेल अप्पन मानवीय कार्यसभक लेल प्रसिद्द भेल छल। माल्कोम मुगेरिजक बहुतेक वृत्तचित्र आ पुस्तक जेना 'समथिङ ब्युटिफुल फर गड' मे टेरेसाक उल्लेख कएल गेल छल। हिनका सन् १९७९ मे नोबेल शान्ति पुरस्कार आ सन् १९८० मे भारतक सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान कएल गेल छल। मदर टेरेसाक जीवनकालमे मिसनरिज अफ च्यारिटीक काज निरन्तर विस्तृत होएत रहल आ हुनकर मृत्यु सँ पहिने धरि ई १२३ देशमे ६१० मिशन नियन्त्रित करि रहल छल। मदर टेरसाक मृत्यु पश्चात हिनका पोप जन पल द्वितीय धन्य घोषित केनए छल आ हिनका कोलकाताक धन्य कऽ उपाधि प्रदान केनए छल।
टेरेसाक हृदयघातक कारण ५ सितम्बर १९९७ कऽ दिन मृत्यु भेल छल।[४]
सन् १९८१ मे आगवेश अपन नाम बदलि टेरेसा राखलक आ ओ आजीवन सेवाक सङ्कल्प अपनेलक। ओ स्वयं लिखलक - ओ १० सितम्बर १९४० कऽ दिन छल जब हम अपन वार्षिक अवकाश पर दार्जिलिङ्ग जा रहल छलौ। ओ समय हमर अन्तरात्मासँ आवाज उठल छल कि "हमरा सब कीछ त्याग करि देना चाही आ अप्पन जीवन इश्वर आ दरिद्र लोकसभक सेवा करि कङ्गाल तनकेँ समर्पित करि देना चाही।
मदर टेरेसा दलितसभ एवं पीडितसभक सेवामे कोनो प्रकारक पक्षपाती नै छल । ओ सद्भाव बढाबैक लेल संसारक दौरा केनए छल । हुनकर मान्यता छल कि प्यारक भूख रोटीक भूखसँ बहुत पैग अछि । हुनकर मिसनसँ प्रेरणा ल संसारक विभिन्न भागसभसँ स्वयंसेवक भारत आएल आ तन, मन, धनसँ गरीबसभक सेवामे लागि गेल । मदर टेरेसाक कहना छल कि सेवाक कार्य एक कठिन कार्य अछि आ एकर लेल पूर्ण समर्थनक आवश्यकता अछि । वोहि लोग ई कार्यक सम्पन्न क सकएत अछि जे प्यार एवं सान्त्वनाक वर्षा क सकै- भूखलके खुवाबै, बेघरसभके शरण दै, दम तोडएवाला बेबससभके प्यारसँ ममता करै, अपाहिजसभक हर समय ह्रदयसँ लगाबैक लेल तैयार रहि सकै ।
मदर टेरेसाक हुनकर सेवासभक लेल विविध पुरस्कार एवं सम्मानसभसँ विभूषित कएल गेल छल । सन् १९३१ मे टेरेसाक पोप जन तैसमक शान्ति पुरस्कार आ धर्मक प्रगतिक लेल टेम्पेलटन फाउन्डेशन पुरस्कार प्रदान कएल गेल । अमेरिकाक क्याथोलिक विश्वविद्यालय हुनका डोक्टोरेटक उपाधिसँ विभूषित कएलक । भारत सरकारद्वारा सन् १९६२ मे हुनका पद्म श्रीक उपाधि मिलल ।[५] मदर टेरेसाक लेल पुरस्कार आ सम्मानक दौर भारतमे नै रुकल आ सन् १९८० मे भारतक सबसँ पैग नागरिक सम्मान भारत रत्न मिलल । [६][७] सन् १९८८ मे ब्रिटेनद्वारा आईर अफ द ब्रिटिश इम्पायरक उपाधि प्रदान कएल गेल ।[८] बनारस हिन्दु विश्वविद्यालय हुनका डी-लिटक उपाधिसँ विभूषित कएलक । १९ दिसम्बर १९७९ क मदर टेरेसाक मानव-कल्याण काजसभक हेतु नोबेल पुरस्कार प्रदान कएल गेल ।[९] वह तेसर भारतीय नागरिक छि जे संसारमे ई सबसँ पैग पुरस्कारसँ सम्मानित कएल गेल छल ।
टेरेसाक जीवनी भारतक एगो सरकारी कर्मचारी नविन चावला लिखनै अछि जे सन् १९९२ मे प्रकाशित भएल छल ।[१०]
बहुतरास व्यक्तिसभ, सरकारसभ आ संस्थासभद्वारा हुनकर प्रशंसा कएल जाति रहल अछि, यद्यपि ओ आलोचनाक सेहो सामना केनए अछि । अहिमे बहुतेक व्यक्तिसभ, जेना क्रिस्टोफर हिचेन्स, माइकल परेन्टी, अरूप चटर्जी (विश्व हिन्दू परिषद)द्वारा कएल गेल आलोचना सामिल अछि, जे हुनकर काम (धर्मान्तरण)क विशेष तरिकाक विरुद्ध छल ।[११][१२]
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